नई दिल्ली से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ धर्म और आस्था को बहाना बनाकर करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया गया। दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग (EOW) ने 44 वर्षीय मोहित वधवा उर्फ मनु को 9 मई को सुभाष नगर से गिरफ्तार किया। वधवा पर आरोप है कि उसने छतरपुर के बड़े मंदिर में एक सत्संग समूह से जुड़े श्रद्धालुओं को ‘हाई-रिटर्न इन्वेस्टमेंट’ का लालच देकर 9 करोड़ रुपये की ठगी की।
पुलिस के मुताबिक, यह ठगी साल 2017 से 2020 के बीच की गई, जहाँ वधवा ने दुबई की कंपनियों में निवेश के नाम पर फर्जी योजनाएं बताकर कम से कम चार परिवारों से भारी रकम ऐंठ ली। शिकायतकर्ता गुरप्रीत कौर राय सहित अन्य पीड़ितों ने बताया कि वधवा ने न तो किसी प्रकार के निवेश से संबंधित दस्तावेज दिए और न ही कोई लाभांश लौटाया। सारी रकम उसने अपनी ऐशो-आराम की जिंदगी के लिए खर्च कर दी।
EOW के डिप्टी कमिश्नर अमित वर्मा के अनुसार, वधवा ने पूछताछ में कुबूला कि वह ठगे गए पैसों का कुछ हिस्सा क्रिप्टोकरेंसी में लगाता था, जबकि बाकी पैसों से आलीशान जीवन जी रहा था। वधवा केवल 12वीं तक पढ़ा हुआ है, लेकिन उसने धार्मिक आयोजनों के जरिए समुदाय में अपनी एक छवि बनाई और फिर उसी विश्वास का फायदा उठाकर करोड़ों की ठगी की।
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि वधवा ने न कोई कानूनी कागजात दिए, न ही कोई अनुबंध — फिर भी लोगों ने उस पर विश्वास करके अपनी जीवन भर की कमाई उसे सौंप दी। अधिकांश पीड़ित मध्यम वर्गीय परिवार हैं जिन्होंने अच्छे रिटर्न की उम्मीद में पैसे लगाए थे, लेकिन उन्हें मिली सिर्फ धोखे की कड़वी सच्चाई।
इस मामले में 27 जुलाई 2021 को IPC की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120-B (आपराधिक साजिश) के तहत FIR दर्ज की गई थी। शिकायत और अन्य पीड़ितों की गवाही के साथ-साथ वधवा के बैंक रिकॉर्ड की जांच से मामले की पुष्टि हुई। पुलिस का कहना है कि वधवा खुद को ग्लोबल इन्वेस्टमेंट सर्किल का विशेषज्ञ बताता था, जबकि उसके पास किसी तरह की वित्तीय शिक्षा नहीं है।
अब पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या वधवा इस ठगी को अकेले अंजाम दे रहा था या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह भी है। इस बात की भी आशंका है कि कुछ रकम विदेशों में या फिर ब्लैक क्रिप्टो बाजार में भेजी गई हो सकती है।
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