नई दिल्ली: 25 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले विपक्ष से जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने तथा विश्व समुदाय की आशाओं पर खरा उतरने का आह्वान करते हुए अपील की कि उनके व्यवहार से मतदाता, लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, संविधान के प्रति उनका समर्पण और संसदीय प्रक्रियाओं में उनके विश्वास की सार्थक अनुगूंज बाहर जानी चाहिए।
श्री मोदी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, “शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा। 2024 का यह अंतिम कालखंड चल रहा है, देश उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा हुआ है। संसद का ये सत्र अनेक प्रकार से विशेष है। सबसे बड़ी बात है कि हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है। जैसे-जैसे 2024 करीब आ रहा है, देश जोश और उत्साह से भर गया है और बेसब्री से 2025 का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संसदीय सत्र कई मायनों में खास है, जिसमें सबसे अहम पहलू हमारे संविधान की 75वीं वर्षगांठ है। यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक गौरवशाली मील का पत्थर है। कल संविधान सदन में सब मिलकर संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव की शुरुआत करेंगे।
उन्होंने कहा, “संविधान निर्माताओं ने संविधान का निर्माण करते समय एक एक बिंदु पर बहुत विस्तार से बहस की है और तब जाकर ऐसा उत्तम दस्तावेज हमें प्राप्त हुआ है। हमारे संविधान की महत्वपूर्ण इकाई हैं-संसद और हमारे सांसद। संसद में स्वस्थ बहस होनी चाहिए और चर्चाओं में अधिकतम और उचित भागीदारी होनी चाहिए। लेकिन,दुर्भाग्य से कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद को भी मुट्ठीभर लोगों की हुड़दंगबाजी से संसद को कंट्रोल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। हालांकि उनकी रणनीति अंततः विफल हो जाती है, जनता उनके व्यवहार पर बारीकी से नज़र रखती है और समय आने पर सज़ा भी देती है।”
उन्होंने कहा कि समस्या नये सांसदों के लिये हो रही है उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच लेते हैं। लोकतंत्र में हमारा कर्तव्य है कि हम आने वाली पीढ़ियों को तैयार करें। लेकिन 80 से 90 बार जनता द्वारा नकार दिये गये लोग जनता की आकांक्षाओं पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं बार-बार विपक्ष के साथियों से आग्रह करता रहा हूं और कुछ विपक्षी साथी भी चाहते हैं कि सदन में सुचारू रूप से काम हो। लेकिन जिनको जनता ने लगातार नकारा है, वे अपने साथियों की बात को भी नकार देते हैं और उनकी एवं लोकतंत्र की भावनाओं का अनादर करते हैं।”
उन्होंने कहा कि आज विश्व भारत की तरफ बहुत आशा भरी नजर से देख रहा है। इसलिए हमें संसद के समय का उपयोग वैश्विक स्तर पर भी भारत के बढ़े हुए सम्मान बल प्रदान करने में करना चाहिए। हमें संसद में समय का उपयोग भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठा को और बढ़ाने के लिए करना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “ऐसे अवसर, जो आज हमें मिले हैं, विश्व मंच पर भारत के लिए दुर्लभ हैं और हमें इनका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। भारत की संसद से यह संदेश निकलना चाहिए कि देश के मतदाता, लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, संविधान के प्रति उनका समर्पण और संसदीय प्रक्रियाओं में उनका विश्वास सार्थक है और हमें इस अवसर पर आगे आना चाहिए।”